हमारा घर हमारा विद्यालय 2022 New updates. बच्चों की कोरोना से सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखने के साथ साथ बच्चों की पढ़ाई लिखाई को सुनिश्चित करने के लिए विगत सत्र 2020-21 से हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम सभी स्कूलों में संचालित किया जा रहा है। इस अकादमिक सत्र 2021-2022 में भी हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम को जारी रखा गया है। इसे हम हमारा घर हमारा विद्यालय 2.0 कह सकते हैं। आइए हम जानते हैं कि इस अकादमिक सत्र 2021 22 में मिडिल स्कूलों अर्थात कक्षा 6, 7 एवं आठ के बच्चों के लिए किस तरह का शिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है और किन गतिविधियों के आधार पर बच्चों के सीखने को सुनिश्चित किया जाएगा। Digilep program को कैसे जारी रखा जाएगा।
Hamara ghar, hamara vidyalay program
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी मिडिल स्कूलों को 1 सितंबर 2021 से 50% क्षमता के साथ खोल लिया गया है। क्योंकि स्कूल दोबारा कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए खोले जा रहे हैं अतः शालाओं में बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। शासन की मंशा अनुसार ऑनलाइन माध्यम व्हाट्सएप आधारित मूल्यांकन रेडियो कार्यक्रम हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम यह सभी संचालित किए जा रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि भले ही स्कूलों को खोला गया है लेकिन हमारा घर हमारा विद्यालय की गतिविधियों को भी साथ-साथ जारी रखा जाएगा। प्राथमिक शालाओं में कक्षा पहली से कक्षा पांचवी तक की कक्षाओं के संचालन के लिए एक कार्य प्लान तैयार किया गया है जिसमें कोविड महामारी के कारण बच्चों में हुए लर्निंग गैप्स को ध्यान में रखा गया है।
Hamara ghar hamara vidyalay ka sanchalan kaise kiya jayega?
हमारा घर हमारा विद्यालय वर्जन 2.0 में दक्षता उन्नयन पर विशेष फोकस किया गया है क्योंकि डेढ़ साल से बच्चों के स्कूल बंद थे। अतः बच्चे बच्चों की दक्षता का समुचित विकास नहीं हो पाया है। इसलिए दक्षता उन्नयन को ज्यादा समय दिया जाएगा।
हमारा घर हमारा विद्यालय 2.0
आइए हम सब से पहले डिजिटल माध्यमों पर चर्चा करते हैं
नंबर 1 साप्ताहिक व्हाट्सएप आधारित मूल्यांकन
पिछले सत्र 2020 कैसे मैं भी व्हाट्सएप आधारित मूल्यांकन कार्यक्रम शुरू हुआ था इसमें व्हाट्सएप के माध्यम से बच्चों का मूल्यांकन किया गया था नवीन सत्र में भी इसे जारी रखना है।
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व्हाट्सएप पर शिक्षाप्रद वीडियो
व्हाट्सएप वीडियो जैसा की आप सबको मालूम है पिछले सत्र में बच्चों की हर कक्षा के व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए थे। स्कूलों के भी ग्रुप बनाए थे इसमें सभी बच्चों के लिए व्हाट्सएप समूह पर वीडियो भेजे जाते थे इन वीडियो में बच्चों की पढ़ाई लिखाई से संबंधित जानकारियां होती थी और बच्चों को तथा बालकों को इन वीडियो के प्रति जागरूक किया गया था। इस साल भी यह कार्यक्रम जारी रखना है इसके लिए प्रतिदिन जन शिक्षा केंद्र स्तर पर भी समूहों में वीडियो की लिंक भेजी जाती है। इस साल मेंटर की प्रक्रिया को भी चालू किया था menter वह होते हैं जो बच्चों की सीखने में सहायता करते हैं।
रेडियो कार्यक्रम
नंबर 3 रेडियो क्लास के दिन 9:30 से 10:30 बजे तक रेडियो प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा इन कार्यक्रमों को बच्चों को सुनना है जिन बच्चों के पास अभी redio नहीं है वो दूरदर्शन की डीटीएच सर्विस पर टेलीविजन पर भी यह कार्यक्रम सुन सकते हैं। निश्चित रूप से ई लर्निंग का प्रयोग हमारे स्कूलों में किया जा रहा है।
यह तो बात हुई डिजिटल सीखने की सामग्री की। आइए आप चर्चा करते हैं पुस्तकों के रूप में सीखने की सामग्री की। क्योंकि सत्र के आरंभ होते ही बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित किया चुकी है। छठवीं कक्षा से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के अलावा अभ्यास करने के लिए वर्क बुक भी वितरित की गई है। सत्र 2021 22 में बच्चों को हिंदी गणित एवं अंग्रेजी की वर्क बुक बांटी गई है। बच्चों को इन वर्क बुक में दक्षता से संबंधित क्रियाकलाप करवाए जाएंगे। इन क्रियाकलापों को नियमित रूप से शिक्षकों द्वारा जांचा जाएगा और पालकों को भी दिखाया जाएगा।
पाठ्य पुस्तक
नवीन सेकंड सत्र में बच्चों को पाठ्य पुस्तकें वितरित की गई हैं। यह सभी पुस्तकें बच्चों को घर पर और स्कूल में अध्ययन करने के लिए हैं।
दक्षता उन्नयन कार्य पुस्तिका
बच्चों की मूलभूत दक्षता के विकास के लिए दक्षता उन्नयन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। दक्षता उन्नयन कार्यक्रम में बच्चों को मूलभूत गणितीय संक्रियाएं जैसे संख्या, संख्या पहचान, जोड़, घटाना, गुणा, भाग एवं सरल गणित के सवाल हल करने के लिए दिए जाते हैं। पिछले सत्र में भी बच्चों द्वारा दक्षता उन्नयन की work books घर पर ही कंप्लीट की गई थी एवं शिक्षकों द्वारा करवाई गई थी। इस सत्र में भी उन पर काम होना है। इसके लिए शिक्षक पालक संपर्क द्वारा एवं विद्यालय कक्षा शिक्षण द्वारा यह कार्य संपन्न करवाएंगे। घर सीखने का संसाधन अवधारणा भी माता-पिता अथवा पालको के साथ साझा करना लाभदायक हो सकता है।
शिक्षक बच्चों की पढ़ाई में सहायता कैसे कर सकते हैं।
शिक्षक शिक्षा की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कड़ी हैं। शिक्षक बच्चों को मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं। शिक्षक एक Facilitator in Learning की तरह होते हैं जो बच्चों की सीखने में सहायता करने का काम करते हैं। पाठ्य पुस्तकें बच्चों की मित्र होती हैं। शिक्षकों का कार्य पहले से अधिक व्यापक हो चुका है क्योंकि शिक्षकों को बच्चों के साथ-साथ उनके पालकों से भी संपर्क स्थापित करना पड़ रहा है। क्योंकि इस समय सामान्य शैक्षणिक प्रक्रियाओं के अलावा डिजिटल माध्यमों जैसे व्हाट्सएप रेडियो टेलीविज़न इत्यादि का भी शिक्षा में प्रयोग किया जा रहा है अतः शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह बालकों को इन माध्यमों के महत्व और इनका उपयोग कैसे करें इस बारे में जागरूक करें। आज के समय में पालक संपर्क बहुत अधिक आवश्यक है। यदि किसी बच्चे तक डिजिटल माध्यमों की उपलब्धता नहीं है तो शिक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वह पालकों से संपर्क करें और बच्चों तक डिटेल माध्यमों की उपलब्धता को सुनिश्चित करवाएं।
S.m.s. फोन कॉल एम व्हाट्सएप का प्रयोग
शिक्षकों को डिजिटल माध्यमों का समुचित उपयोग करना है पाल को एवं बच्चों को सूचना देने के लिए s.m.s. व्हाट्सएप संदेश और फोन कॉल का प्रयोग करना है। आज के दौर में mobile learning बहुत ही effective tool हो गया है। अतः मोबाइल का सीखने में प्रयोग करना शिक्षकों को भी आना चाहिए, बच्चों को भी आना चाहिए और पालकों को भी इसकी समुचित जानकारी होना चाहिए।
बच्चों के माता-पिता पढ़ाई में कैसे सहायता कर सकते हैं।
क्योंकि बच्चे अधिकांश समय घर पर रहते हैं बच्चे घर पर पलकों के संपर्क में रहते हैं। अतः बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में बालकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। हमारा घर हमारा विद्यालय टुप्वाइंट्जीरो में पालकों के दायित्व पहले से कहीं अधिक व्यापक हो गए हैं। आइए जानते हैं माता-पिता की बच्चों की सीखने में भूमिका
Parents role in children learning
माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को शिक्षक द्वारा बताए गए दिनों पर नियमित रूप से विद्यालय भेजें। बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए प्रेरित करें बच्चे मास्क लगाकर स्कूल जाएं और अपने सहपाठियों एवं शिक्षकों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
पालकों का शिक्षकों से नियमित सम्पर्क
शिक्षक से सप्ताह में कम से कम 2 बार मिलकर बच्चे की पढ़ाई में प्रगति पर बात करें। शिक्षकों के साथ-साथ पालकों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में शिक्षकों से नियमित रूप से संवाद बनाए रखें। यह संवाद फेस टू फेस भी हो सकता है और ऑनलाइन माध्यम से भी किया जा सकता है। यदि बच्चों के माता-पिता शिक्षकों से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पा रहे हैं तो वे व्हाट्सएप अथवा फोन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
सभी शिक्षकों को अपने मोबाइल में सभी पालको एवं बच्चों के मोबाइल नंबर सेव करके रखना चाहिए. हम एक रजिस्टर में भी mobile numbers save रख सकते है ताकि आवश्यकता पड़ने पर बच्चों एवं पालकों को फोन द्वारा संपर्क कर सकें.
सुनिश्चित करना कि बच्चा विद्यालय में दिया गया होमवर्क कर रहा है या नहीं।
पालकों को इस बात की जानकारी रखनी चाहिए कि बच्चों को प्रतिदिन कितना होमवर्क दिया जा रहा है। यदि बच्चे होमवर्क नहीं कर रहे हैं तो बच्चों से इस बारे में पूछताछ की जानी चाहिए। यदि बच्चों को घर पर अपना अभ्यास कार्य करने में कोई परेशानी आ रही है तो बच्चों से बात करें और साथ ही शिक्षकों से भी इस बारे में चर्चा अवश्य करें।
वर्तमान सत्र 2021-22 में विद्यालयों को खोला गया है लेकिन हमको सामान्य स्कूली प्रक्रियाओं के अलावा डिजिटल माध्यमों के समुचित उपयोग पर भी ध्यान देना चाहिए बच्चों को नियमित रूप से मार्गदर्शन देते रहना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि नई अकादमिक सत्र 2021-22 में बच्चों की पढ़ाई लिखाई बच्चों की कोर्स और पालकों की भूमिका इन बिंदुओं पर यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी आपको जानकारी पसंद आए तो इसे व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर कर सकते हैं यदि आपका कोई सुझाव अथवा समस्या है तो उसे कमेंट के माध्यम में नीचे लिखे।
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